Tuesday, January 15, 2008

'तारे ज़मीन पर' एक अच्छा फिल्म है. एक्टिंग और दिरेक्टिंग भी अच्छा था. छोटा लड़का अच्छा था.

मूवी सिर्फ आनंद के लिये नही था. बहुत महत्वपूर्ण चीज़ बोलता है. ईशान के जैसे बच्चे, भारत की पात्शाला मैं डूब जा सकते है. 

जैसे आमिर खान कहते है, हम सब एक पात्शाला में पद सकते है. जो थोडा सा ज्यादा समय लगते है कुछ विषय मैं, उनको ज्यादा ध्यान देना चाहिऐ। पर उनके अलग सोच को धक्के से खामोश नही करना.

कई लोग पड़ने-लिखने मैं अच्छा है. पर उनको भूलना नही चाहिऐ. पड़ने -लिखने सब कुछ नही है और दूसरे चीज़ मैं अच्छा होते है.

भारत में कभी-कभी ये नही होता है. एक ही रास्ता है, और जो लोग उस रास्ता की पार करते है, वह गलत है. एक ही उत्तर है - जो किताब मैं है.

मेरा आशा है की किसी दिन, यह बदल जायेगा. पात्शाला में सब लोगों की सुनना चाहिऐ. साधारण हर बार सही नही है. रचना एवं नये चीज़ साधारण सोच से नही बँटा है.