Wednesday, November 28, 2007

"ॐ शांति ॐ" बहुत अच्छा फिल्म है. जब मैं बोस्टन में था, मैने देखा था.  देखने के पहले मालूम नही था की कितना अच्छा है. 

इस फिल्म साधारण नही है. कुछ चीजे हैं जो है सब बोल्ल्य्वूद फिल्मी में हैं.  पर यह फिल्म दूसरे फिल्मी की मजाक करता है.  नाम "ॐ शांति ॐ", प्रार्थना से नही है  शाह रुख खान का नाम है ॐ, एवं उसकी प्यार की नाम शांति है.   

"ॐ शांति ॐ" का कहानी भी नया था. ऐक्ट्रेस ने अच्छा काम किया और गाने भी दिलचस्प थे. 

सबको इस फिल्म देखना चैयाय.  फिल्म तीन घंटा है पर हर एक्शन से आनंद आती है. 

Tuesday, November 27, 2007

आज, बहुत साल के बाद, पाकिस्तान का राष्ट्रपति एवं  सेनापति, दो अलग आदमी हैं. केई साल पहले, परवेज़ मुशर्रफ सिर्फ सेनापति था. पाकिस्तान का राष्ट्रपति नवाज़ शरीफ था. 

मुशर्रफ ने अक्टूबर १९९९ में धक्के से शरीफ को निकल दीया और राष्ट्रपति भी बन गया. वह एक दिक्टाटर था.

आज, आठ साल के बाद, मुशर्रफ सेनापति नही है. यह बहुत अच्छा है, पूरे दुनिया के लिए. नाज़ी जर्मनी (Nazi Germany) में सेनापति एवं राष्ट्रपति एक आदमी था और जग की स्थिथि बिलकुल अच्छी नही थी. जब एक आदमी सब करता है, देश अस्थिर हो जाता है.

पाकिस्तान ने भारत को तीन बार आक्रमण किया है. मेरी आशा है की ये नया परिणाम के बाद और युद्ध नही होगा.

एक दिन गाँव में एक आदमी था. वह बहुत धनि थी. पूरे गाँव में उसके पास सबसे ज्यादा पैसा था. इतने पैसे से खुश नहीं था क्योंकि वह बहुत लालची था. उसका नाम पागल्पा था.

एक दिन गाँव में गाडी चला रहा था. कई लोग यात्रा जा रहे थे और गाँव के द्वारा जा रहे थे. अचानक एक डिब्बा गाडी से गिर गया.

यह देखके एक गाँव वासी, गाड़ी वालो को रोकने के लिए चिल्लाने लगा परन्तु पागल्पा ने उसको खामोश किया. उसने कहा "यह डिब्बा मरे गाँव में गिर गया और जो कुछ है उसमे, वह मेरा है."

यह कहकर, पागल्पा ने डिब्बा उठाकर वापस घर गया. घर पहुंचकर डिब्बा खोलने शुरू किया. उसके मन में धन एवं अलंकार की विचार थे.

अंत में उसने डिब्बा खोल दीया. अन्दर एक साँप था जो गिरने से गुस्से में था. बाहर आके साँप पागल्पा को काँटा और पागल्पा मार गया. 

यदि डिब्बा उसका ही था, तो अन्दर विष उसका भी होगा!

घर - यह शब्द बहुत साधारण है. लोग हमेशा प्रयोग करते हैं. पर घर क्या है?

घर वह स्थान है जहाँ हम हमेशा अपेक्षित है. जो भी हो, घर हमारा है और हम वहाँ जा सकते है.

घर वह स्थान है जहाँ हमारे प्रिय परिवार रहते हैं, जो हमें प्यार एवं सहारा देते हैं.

घर वह स्थान है जहाँ हमें प्यार मिलता है - वाही प्यार जिस से हम जीते हैं.

घर वह स्थान है जो अनोखा होके भी साधारण है.

 

यह लेख थोडा अजीब है. मुझे मालूम नहीं कि क्या लिखूं. र.म.सी में बैठके सोच रहा  हूँ. एक हजार एक विषय के बारे में सोचा, पर कुछ नहीं लिख पाया.

ये लेख बहुत मनभावना है. लेख का विषय कुछ भी हो सकता है. यह साधारण नहीं है पर बहुत अच्छा है. कभी - कभी मुश्किल है क्योंकि मन खली होता है और बैठके सोचता हूँ - किस चीज़ पर लिखूं?

कभी विषय चुनने में लेख लिखने से ज्यादा समय लगता है. यह लेख प्रमाण है. आधा घंटा बिताने के बाद, मैने अपने विचार लिखना शुरू किया और तेजी से खत्म कर रहा हूँ. 

यह मन  - ब्लाक बहुत अनोखा है. यह सोचके र.म.सी में बैठके, समय बिता रहा हैं.....

एक गाँव में एक आदमी था. उसका नाम ईविल था. ईविल के पास बहुत पैसा एवं बहुत ज़मीन था. बहुत किसान उनके लिये काम करते थे.

लेकिन ईविल बहुत करुर था. उसके लिए सिर्फ पैसा आवश्यक था. वह पुरा दिन, घर में बैठके पैसा गिनता रहता।

गाँव के निवासी ईविल को पसंद नही करते थे. पर कुछ नहीं कर सकते थे क्योंकि जंव की ज़मीन ईविल की थी और इसलिए ईविल के लिए नौकरी करने पद्थय थे।

एक दिन ईविल गाँव में घूम रहा था. अचानक वह गहरा खड्डा में गिर गया. इतना गहरा था कि वह बाहर नही छड़ पाया. ईविल चिल्लाने लगा "कोई है? मदद कीजिए! मदद कीजिए"

जब यह हो रहा था, एक लड़का पास में सो रहा था. उसका नाम साधू था. चिल्लाहट की आवाज़ सुनकर, वह उठ गए. आवाज़ कि तरफ जाके, साधू ने ईविल को देखा। 

साधू जनता था कि ईविल बहुत करुर था और स्वार्थी था. पर साधू बहुत अच्छा आदमी था और उसने ईविल को सहारा दीया.

ईविल ने बाहर आने के बाद प्रायश्चित किया. उसने लड़के को धन्यवाद कहा एवं गाँव से माफ़ी माँगा. इतना अच्छा आदमी बन गया कि नाम भी बदला, ईविल से निएस.

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